नवम्बर माह के तीसरे सप्ताह के आरंभ में चीन में बच्चों में तेजी से फैलते संास में अवरोध के समाचारों ने एक बार फिर हलचल पैदा कर दी। चीन के द्वारा इसे सामान्य लक्षण बताये जाने के बावजूद इसे अन्यत्र गंभीरता से ही लिया गया। इसकी वजह स्वास्थ्य संबधी मामलों में चीन द्वारा पहले बरती जा चुकी लापरवाहियां है, जो उसे संदेह से परे नहीं रखती। एक नजर चीन के स्वास्थ्य मामलों पर।

चीन का कहना है चीन में सांस की बीमारियों में वृद्धि, फ्लू और अन्य ज्ञात रोगजनकों के कारण होता है, कि किसी नए वायरस के कारण। आम वायरस जैसे इन्फ्लूएंजा वायरस, राइनोवायरस, रेस्पिरेटरी सिंकाटियल वायरस या आरएसवी, एडेनोवायरस के साथ-साथ माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया जैसे बैक्टीरिया के ओवरलैप के कारण होते हैं, जो सांस लेने में रूकावट पैदा होने के लिए एक आम बात है। लेकिन पूर्व में दो महामारी से जूझ चुके विश्व भर के विशेषज्ञों का मानना है कि नए फ्लू स्ट्रेन या महामारी फैलाने में सक्षम अन्य वायरस का उद्भव आम तौर पर सांस संबंधी बीमारी के अज्ञात समूहों से ही शुरू होता है और सार्स हो या  फिर कोविड-19  इन दोनों को भी पहले असामान्य प्रकार के निमोनिया के रूप में ही रिपोर्ट किया गया था। जबकि चीनी अधिकारियों ने बच्चों में तेजी से फैलते संक्रमण की वजह कोविड-19 लॉकडाउन प्रतिबंध हटाने को जिम्मेदार ठहरा रहे। ये सही है कि कोविड महामारी प्रतिबंध समाप्त होने पर दूसरे अन्य देशों में भी आरएसवी जैसी सांस संबंधी बीमारियों को तेजी से बढ़ते देखा गया।

एक अच्छी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली किसी देश के निवासियों की खुशी का एक अनिवार्य हिस्सा है। और इसमें दो राय नहीं कि चीन की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली ने चीनी लोगों के लिए चिकित्सा सेवाओं और सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों के प्रबंधन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त उपलब्धियां हासिल की हैं। लेकिन जैसे-जैसे आबादी की उम्र बढ़ना गंभीर होता जा रहा है, अधिक से अधिक बुजुर्ग लोगों की सार्वजनिक चिकित्सा उपचार की माँग बढ़ रही है। यकीनन इस समय चीन की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रही। सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के स्वास्थ्य संकट से निपटने के प्रयासों में समय से पहले होने वाली मौतों को कम करने, जोखिम कारकों को नियंत्रित करने और स्वास्थ्य देखभाल क्षमता को बढ़ावा देने के लिए 2019 में शुरू किया गया स्वस्थ चीन 2030 अभियान किस तरह काम कर रहा है ये पिछले कुछ समय के दौरान देखा जा चुका है। यकीनन इसकी शुरूवात को आप बहुत सफल नही कह सकते।

 

चिंताजनक स्थिति और  विशेषज्ञों  की राय

चीन में कई माता-पिता फैलती बीमारी से चिंतित और भयभीत है। छोटे क्लीनिकों में इलाज कराने की सलाह, मामूली मामलों के लिए घर पर रहने का आग्रह, फिर अस्पतालों में बढ़ती भीड़ से वे अपने बच्चे की बेहतर इलाज के लिए हैरान परेशान है। बीजिंग के एक अस्पताल से न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ साझा की गई तस्वीरों में एक बच्चा एक महिला के साथ फर्श पर लेटा हुआ और लॉबी में लंबी कतारें दिखाई दे रही हैं। टाइम्स की एक रिर्पाेट के अनुसार तीन साल के बच्चे की मां वू सी अपने बच्चों को हल्के बुखार और खांसी होने की वजह से 2 नवंबर को बीजिंग चिल्ड्रेन हॉस्पिटल लेकर आई तो उसे आठ घंटे से अधिक समय तक उसकी सही जांच और इलाज के लिए इंतजार करना पड़ा। बाद में उसे माइकोप्लाज्मा निमोनिया होने का पता चला। स्थिति की भयावहता इसी से नजर आती है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने बीमारी में वृद्धि के बारे में समग्र आंकड़े जारी नहीं कर पा रही हैं। लेकिन स्थानीय सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार, अनहुई प्रांत के एक बच्चों के अस्पताल में, डॉक्टरों ने एक दिन में 67 ब्रोंकोस्कोपी की, जबकि एक सामान्य दिन में 10 ब्रोंकोस्कोपी की जाती थी। पूर्वी चीन के हांगझू शहर में सरकारी मीडिया के अनुसार एक अस्पताल में बाह्य रोगी बाल चिकित्सा दौरे पिछले साल से तीन गुना अधिक बढ़ गए थे, जबकि वहां कोविड प्रतिबंध लागू थे। इसी लेख में कहा गया है कि उनमें से लगभग 30 से 40 प्रतिशत बच्चों में माइकोप्लाज्मा निमोनिया का निदान किया जा चुका था। न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मैकइंटायर का इस संदर्भ में कहना है कि, अज्ञात निमोनिया के मामलों का सामने आना अपने आप में एक नए रोगज़नक़ का संकेत नहीं है। निमोनिया जैसे लक्षण काफी आम हैं और उनके कारणों का निदान अक्सर उनके घरेलू देशों में निगरानी और परीक्षण प्रणालियों पर निर्भर करता है।

कई विशेषज्ञों की राय में सर्दियों का आगमन, सीओवीआईडी प्रतिबंधों की समाप्ति और बच्चों में पूर्व प्रतिरक्षा की कमी बढ़ते संक्रमण के लिए जिम्मेदार हो सकती है। ऐसी आशंका भी हो सकती है कि लंबे समय तक कोविड लॉकडाउन के कारण, चीन के निवासियों में वायरस के खिलाफ प्राकृतिक प्रतिरक्षा विकसित नहीं हुई होगी। ऑस्ट्रेलिया के डीकिन विश्वविद्यालय के कैथरीन बेनेट इसकी वजह चीन में छोटे बच्चों  द्वारा अपना आधा जीवन सामान्य रोगजनकों के सामान्य संपर्क के बिना बिताने को मानते है। उनके अनुसार इसलिए उनके पास प्रतिरक्षा का समान सा स्तर शेष नहीं रह गया। चीन स्थित मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने चीन के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के एक विशेषज्ञ का हवाला देते हुए कहा कि श्वसन संक्रामक विभिन्न आयु समूहों के अनुसार भिन्न भिन्न होते हैं। ब्रिटेन के ईस्ट एंग्लिया विश्वविद्यालय के पॉल हंटर को यह संकामक किसी नए वायरस के कारण फैली महामारी की तरह नहीं लगता है। एएफपी ने उनके हवाले से कहा, अगर ऐसा होता, तो मैं वयस्कों में कई और संक्रमण देखने की उम्मीद करता।

 

वजहें जो चीनी नागरिको को कर रही बीमार 

चीन में खराब स्वास्थ्य के नजरिए से स्ट्रोक, हृदय रोग, कैंसर मृत्यु और विकलांगता गंभीर रूप में देखे जाते हैं। उम्रदराज़ समाज और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली (जैसे शारीरिक गतिविधि, आहार और तंबाकू) के कारण एनसीडी बढ़ रही है। तम्बाकू धूम्रपान चिंताजनक रूप से उच्च है। दुनिया के 1.1 अरब धूम्रपान करने वालों में से एक तिहाई से अधिक चीन में रहते हैं, जहां लगभग आधी पुरुष आबादी तंबाकू की आदी है। 2010 में तम्बाकू ने 1 मिलियन चीनी लोगों की जान ले ली और अनुमान ये भी लगाया जा रहा है कि 2030 में यह 2 मिलियन लोगों की जान ले सकता है। महिलाओं में तम्बाकू धूम्रपान वर्तमान में अपेक्षाकृत कम है। धूम्रपान से संबंधित बीमारी, जिसमें फेफड़ों का कैंसर, श्वसन और हृदय रोग शामिल हैं| वर्तमान अनुमानों के अनुसार 2050 तक तीन युवा चीनी पुरुषों में से एक की मौत हो जाएगी। लैंसेट पब्लिक हेल्थ (अप्रैल 2018) में, शिन लियू और उनके सहयोगियों के अनुसार धूम्रपान चीन कडूरी बायोबैंक समूह में, 0.5 मिलियन चीनी पुरुषों और महिलाओं का एक समूह मधुमेह के बढ़ते जोखिम से जुड़ा था। तम्बाकू के अलावा, वायु प्रदूषण के कारण चीनी आबादी का दम घुट रहा है; अनुमानतः 11 मौतें परिवेशीय कणों के कारण हो जाती है। लैंसेट पब्लिक हीथ के एक अंक में, टियांटियन ली और सहकर्मियों ने चीनी अनुदैर्ध्य स्वस्थ दीर्घायु सर्वेक्षण में परिवेशी पीएम2.5 के दीर्घकालिक संपर्क से जुड़े मृत्यु जोखिम की रिपोर्ट दी है, जो 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र के चीनी पुरुषों और महिलाओं का एक समूह है।

हृदय रोग चीन में एक प्रमुख हत्यारा माना जाता है, विशेष रूप से भारी औद्योगिक और शहरीकृत उत्तर में। लैंसेट के एक अध्ययन में पाया गया है कि उस क्षेत्र के लोगों में उच्च रक्तचाप, मोटापा और फलों और सब्जियों की कम लेकिन लाल मांस की अधिकता वाले खराब आहार से पीड़ित होने की अधिक संभावना है। यही नहीं चीन में किसी भी अन्य देश की तुलना में मधुमेह से पीड़ित लोगों की संख्या सबसे अधिक है -110 मिलियन से अधिक- जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने विस्फोटक समस्या बताया है। सदी के मध्य तक यह संख्या 150 मिलियन हो जाएगी। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मधुमेह और मधुमेह से होने वाली जटिलताएँ पहले से ही चीन में हर साल लगभग दस लाख मौतों का कारण बनती हैं। इनमें से 40 प्रतिशत से अधिक मौतों को समय से पहले होने वाली मौतों के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो 70 वर्ष की आयु से पहले होती हैं, जो चीनी सरकार के लिए चिंता का एक और प्रमुख कारण है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी (जीबीडी) 2019 के अनुसार, चीन में रुग्णता और मृत्यु दर के चार प्रमुख कारण इस्केमिक हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और फेफड़ों का कैंसर हैं, और प्रमुख रोग जोखिम कारक तंबाकू धूम्रपान, उच्च हैं। सिस्टोलिक रक्तचाप, कुपोषित आहार और वायु प्रदूषण इसके लिए जोखिम से भरे हुए है।

चीन में 70 वर्ष से अधिक आयु वालों की आबादी 2060 में 300 मिलियन से अधिक तक पहुंचने का अनुमान है, जिसका अर्थ होगा स्वस्थ स्वास्थ्य के प्रति और भी अधिक सुरक्षा को बढ़ाना। लोंगफेई जिया और सहकर्मियों द्वारा किया गया अध्ययन चीन में मनोभ्रंश और संज्ञानात्मक हानि के प्रसार और जोखिम कारकों की एक विस्तृत तस्वीर प्रदान करता है। थींगलिंग जू और उनके सहयोगियों द्वारा जीबीडी 2019 डेटा के देश-स्तरीय विश्लेषण में पाया गया कि अन्य जी20 देशों की तुलना में चीन में 1990 के बाद से मध्यम और गंभीर दृष्टि हानि की व्यापकता कहीं अधिक तेजी से बढ़ी है, विशेष रूप से जनसंख्या की उम्र बढ़ने के कारण। स्वस्थ उम्र बढ़ने के लिए निवारक हस्तक्षेप के महत्व को जूनिंग फैन और उनके सहयोगियों द्वारा किए गए अध्ययन में प्रदर्शित किया गया है, जिसमें पाया गया कि वृद्ध महिलाओं में कमजोरी सबसे अधिक प्रचलित थी, लेकिन यह भी है कि युवा वयस्कों में कमजोरी के लक्षण मृत्यु दर के बढ़ते जोखिम से जुड़े थे।

 

चीन की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के सामने चुनौतियाँ

चीन की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली इस समय अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रही है। इन समस्याओं में अपर्याप्त चिकित्सा बीमा निधि, गैर-समान बीमा प्रतिपूर्ति नीतियां, खराब अखंडता प्रणाली और चिकित्सा बीमा निधि के प्रबंधन में पर्यवेक्षण की कमी शामिल है। निश्चित तौर पर चीन दुनिया का सबसे बड़ा विकासशील देश है, और सरकार के लिए एक बड़ी और प्रभावी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली स्थापित करना बहुत मुश्किल है। चीन में अस्पतालों को त्रि-स्तरीय प्रणाली के अनुसार व्यवस्थित किया जाता है जो चिकित्सा देखभाल प्रदान करने, चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने और चिकित्सा अनुसंधान करने की अस्पताल की क्षमता को पहचानता है। इसके आधार पर, अस्पतालों को प्राथमिक, माध्यमिक या तृतीय संस्थानों के रूप में नामित किया जाता है। इसी तरह चीनी सरकार ने एक स्वास्थ्य बीमा प्रणाली भी स्थापित की है जो लगभग 96 प्रतिशत आबादी को कवर करती है और 1.36 अरब से अधिक लोगों को लाभान्वित करती है। इस प्रणाली में सरकार द्वारा संचालित बुनियादी चिकित्सा बीमा और विभिन्न कंपनियों द्वारा प्रदान किया जाने वाला वाणिज्यिक स्वास्थ्य बीमा भी शामिल है। जहां तक गरीब और कमजोर व्यक्तियों की बात है, गंभीर बीमारियों के लिए शहरी-ग्रामीण चिकित्सा सहायता नामक एक विशेष निधि है, जो आर्थिक कठिनाइयों से पीड़ित लोगों को कवर करती है। चीन की 95 प्रतिशत से अधिक आबादी सार्वजनिक बीमा प्रणाली द्वारा कवर की गई है। लेकिन बीमा प्रणाली के इस्तेमाल के तरीके अफसोसनाक है। उदाहरण के लिए, कुछ बीमित व्यक्ति झूठी सामग्री के साथ चिकित्सा बीमा लाभ के लिए आवेदन करते हैं। कुछ अन्य मरीज़ जानबूझकर डिस्चार्ज में देरी करते हैं और बार-बार जांच और उपचार कराते हैं। इसके अलावा, रोगियों के साथ सहयोग करके, कुछ अस्पताल चिकित्सा बीमा निधि को धोखा देने के लिए फर्जी अस्पताल में भर्ती प्रक्रियाओं के लिए आवेदन करने में रोगियों की सहायता करते हैं। इसके अलावा, कुछ मेडिकल संस्थान या डॉक्टर मेडिकल बीमा फंड से मुनाफा कमाने के लिए झूठे मेडिकल रिकॉर्ड बनाते हैं, बार-बार फीस वसूलते हैं और मेडिकल सेवाओं में हेराफेरी करते हैं। चीन की चिकित्सा बीमा सूचना प्रणाली की क्षमता भी अपर्याप्त है। वर्तमान में, चीन में लगभग 90 प्रतिशत चिकित्सा बीमा-समन्वित क्षेत्रों ने संबंधित चिकित्सा बीमा सूचना प्रबंधन मंच स्थापित किए हैं। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक प्रांत के पास प्रत्येक चिकित्सा ऑपरेशन या परीक्षा के लिए अपना स्वयं का स्वतंत्र चिकित्सा बीमा सूचना कोड होता है। बावजूद इन सब के बीमा प्रणाली में धांधली कम नहीं हो रही।

 

निष्कर्ष

एक बड़ी आबादी वाले देश भारत में स्वास्थ्य संबधी जागरूकता मिशन से बीमारियो को काफी हद तक नियत्रित किया जा चुका है। जबकि चीन के पास संक्रामक रोगों से निपटने के लिए कहीं अधिक मजबूत प्रणालियाँ हैं और वह गैर-संचारी रोगों और स्वास्थ्य असमानताओं से निपटने के लिए सामुदायिक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को विकसित करने और मजबूत करने के लिए अच्छी स्थिति में भी है। यकीनन सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के साथ एकीकृत रोकथाम-केंद्रित प्राथमिक देखभाल प्रणाली में सुधार, आधुनिकीकरण और निवेश से चीन देश भर में स्वास्थ्य में सुधार काम को बेहतर कर सकता है और यह भी सुनिश्चित कर सकता है कि स्वास्थ्य में सुधार का चीन का प्रक्षेप पथ जारी रहे और इससे कोई भी पीछे छूटे। इस सबंध में हाई-स्पीड ट्रेनों, दुकानों और रेस्तरां जैसे सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध एक अच्छा कदम कहा जा सकता हैं। गत वर्ष साल स्क्रीन समय पर रोक को शुरुआती मोटापे को कम करने और स्वास्थ्य परिणामों में सुधार को प्रयास के हिस्से के रूप में देखा जा सकता है।

Image source: Global Times

Author

Mrs. Rekha Pankaj is a senior Hindi Journalist with over 38 years of experience. Over the course of her career, she has been the Editor-in-Chief of Newstimes and been an Editor at newspapers like Vishwa Varta, Business Link, Shree Times, Lokmat and Infinite News. Early in her career, she worked at Swatantra Bharat of the Pioneer Group and The Times of India's Sandhya Samachar. During 1992-1996, she covered seven sessions of the Lok Sabha as a Principle Correspondent. She maintains a blog, Kaalkhand, on which she publishes her independent takes on domestic and foreign politics from an Indian lens.

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