चीन के लिए, पारस्परिक संबंधों और वफादारी के आधार पर कर्मियों की नियुक्तियाँ करने के व्यवसायिक-संबंध राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव दिखा रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप, शी के लिए, इस तरह की शुद्धिकरण नीति से कार्यान्वयनकर्ताओं का अधिकार कम हो जाता है और अंतरराष्ट्रीय मीडिया एवं चीनी राजनीति के पर्यवेक्षकों की ओर से राजनीतिक अस्थिरता की अटकलें लगाई जाती हैं।

This piece was originally written in English. Read it here. It has been translated to Hindi by Rekha Pankaj

14वीं नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति ने पार्टी-राज्य के सैन्य और राजनयिक कोर में शीर्ष अधिकारियों के निष्कासन  के संदेह की पुष्टि करते हुए, ली शांगफू और किन गैंग को उनके राजकीय पदों से हटा दिया है। अब सभी की निगाहें केंद्रीय समिति के तीसरे प्लेनम पर टिकी हैं, जहां पार्टी केंद्र द्वारा किन और ली को केंद्रीय समिति के पूर्ण सदस्यों के रूप में भी हटाये जाने की संभावना है। तीसरा प्लेनम आमतौर पर आर्थिक नीति समायोजन की घोषणा करने का एक अवसर है, और इसमें से किन और ली को हटाने (या अनुपस्थिति) से पार्टी के सभी सदस्यों को दृढ़ता से दोहराया जाएगा कि आर्थिक वृद्धि और विकास के लिए सुरक्षा और स्थिरता आवश्यक आधार हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह उन्हें एक बार फिर याद दिलाएगा कि पार्टी अपनी राष्ट्रीय छवि की रक्षा के लिए कितनी तेजी से काम करना चाहेगी, चाहे जांच के समय सदस्यों की वरिष्ठता कुछ भी हो।

जुलाई के बाद से चीन में कई हाई-प्रोफाइल नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। अक्टूबर 2022 में पार्टी कांग्रेस और मार्च 2023 में पीपुल्स कांग्रेस में उनकी नियुक्तियों के एक साल से भी कम समय के बाद -इसे एक शक्तिशाली अनुस्मारक के रूप में देखा जाना चाहिए कि कार्मिक प्रबंधन उपकरण-राज्य और सेना, पूर्ण निष्ठा की खोज में प्रतिद्वंद्वी गुटों और वफादारों को निशाना बनाते हुए भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की तरह ही पदोन्नति, नियुक्ति और तबादलों की व्यवस्था पार्टी भर में जारी रही।

नवीनतम शुद्धिकरण से पता चलता है कि शी जिनपिंग को विश्वसनीय नियुक्तियों की तलाश के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ रहा है। उन्हें ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है जो निष्ठावान और स्वच्छ छवि वाले हों। लेकिन पारस्परिक संबंधों और वफादारी के आधार पर कर्मियों की नियुक्तियाँ करने के इस तरह के व्यवसायिक तौर-तरीेके चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर असर भी डाल रहे। दरअसल शी की, इस तरह की शोधन नीतियां नीतियां कार्यान्वयनकर्ताओं के अधिकार को कम करती हैं। फिर भी ये अंतरराष्ट्रीय मीडिया और चीनी राजनीतिक पर्यवेक्षकों की नजर में राजनीतिक अस्थिरता की अटकलों को आकर्षित करते हैं।

शी के अधीन कार्मिक प्रबंधन

शुद्धिकरण चीन की संभ्रात राजनीति की एक प्रमुख विशेषता है। हालाँकि, 20वीं कांग्रेस पार्टी में पदोन्नति के एक साल से भी कम समय में ही किन गैंग और ली शांगफू को हटाया जाना, अधिकारियों की नियुक्ति के मामले में शी की कार्यशैली पर ख़राब असर डालता है। विशेष रूप से तब जबकि नियुक्तियों के लिए सर्वसम्मत-आधारित निर्णय लेने की प्रक्रिया की अनुपस्थिति के चलते शी जिनपिंग द्वारा शीर्ष नौकरियों के लिए व्यक्तिगत रूप से उम्मीदवारों का साक्षात्कार लिया गया था।

छह महीने से भी कम समय में केंद्रीय समिति के पूर्ण सदस्य के साथ-साथ चीन के विदेश मंत्री और फिर राज्य पार्षद बनने के लिए, किन गैंग का उदय मुख्य रूप से शी जिनपिंग के साथ उनके सभी विदेशी दौरों के प्रबंधन के प्रभारी मुख्य प्रोटोकॉल अधिकारी के रूप में उनकी बातचीत के कारण ही हुआ था। इसी तरह, 2013 से ली शांगफू की पदोन्नति भी - 2015 में नव निर्मित (शी जिनपिंग द्वारा) पीएलए स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में, 2017 में पुनर्गठित (शी जिनपिंग द्वारा) सीएमसी उपकरण विकास विभाग के निदेशक, 2017 में ही केंद्रीय समिति की पूर्ण सदस्यता और अंततः अक्टूबर 2022 में केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के लिए मंजूरी शी द्वारा ही दी गई थी।

इन्हें नियुक्त करने के बाद शी द्वारा सीधे हस्तक्षेप कर इनका निष्कासन यह दर्शाता है कि पार्टी में शी के पसंदीदा उम्मीदवारों के लिए पूर्व में जांच तंत्र में ढील दी गई थी या फिर अधिकारियों ने ही शीे द्वारा की गई नियुक्तियों की जांच करने में अरूचि दिखाई। इसका एक प्रमुख उदाहरण इस तथ्य में नजर आता है कि किन गैंग का कथित मामला उस जांच से बच गया है जो आमतौर पर चीन में शीर्ष अधिकारियों के लिए ही किया जाना आवष्यक है। गैंग और ली शांगफू की बर्खास्तगी के कारण, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए विनाशकारी निहितार्थों को दर्शाते हैं, जो व्यक्तिगत संबंधों, कथित वफादारी और चरित्र और क्षमता के बारे में एक व्यक्ति के फैसले के आधार पर की गई नियुक्तियों के परिणामस्वरूप देखने को मिलते हैं।

भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों की सीमित प्रभावशीलता

यह कोई संयोग नहीं है कि जैसे ही चीन की सैन्य और राजनयिक कोर के अधिकारी गायब होने लगे, भ्रष्टाचार विरोधी अभियान ने नई गति पकड़ ली। फरवरी में, स्थायी समिति के सदस्य और केंद्रीय अनुशासन निरीक्षण आयोग (सीसीडीआई) के प्रमुख, ली शी ने घोषणा की कि सीसीडीआईनंबर 1’ आंकड़ों की निगरानी को मजबूत करेगी और प्रमुख सुरक्षा जोखिमों की पहचान करेगी। इसके बाद मार्च में पीएलए उपकरण विकास विभाग द्वारा लोगों को अवैध खरीद मामलों के बारे में सुझाव भेजने के लिए मई माह में यह बताते हुए एक ईमेल पते की स्थापना की गई कि पीएलए रॉकेट फोर्सेज (पीएलएआरएफ) के डिप्टी कमांडर (अब पूर्व) लियू गुआंगबिन की जांच की जा रही है। मई तक, यह बताया गया कि पीएलए रॉकेट फोर्सेज (पीएलएआरएफ) के डिप्टी कमांडर (अब पूर्व) लियू गुआंगबिन की जांच की जा रही थी। जुलाई में पोलित ब्यूरो अध्ययन सत्र के बाद के दिनों में, जहां शी जिनपिंग ने सैन्य व्यय की निगरानी को मजबूत करने के महत्व को दोहराया इस जानकारी के साथ कि पीएलए रॉकेट फोर्सेज के कमांडर और राजनीतिक कमिश्नर (अब पूर्व) ली युचाओ और जू झोंगबो की भी भ्रष्टाचार के लिए जांच की गई है।

ली शांगफू, ली युचाओ, जू झोंगबो और अन्य के मामले से पता चलता है कि भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी बनी हुई हैं और इसमें सेना के हर स्तर के अधिकारी शामिल हैं। भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिए बार-बार चलाए गए अभियानों से सेना से भ्रष्टाचार ख़त्म करने या युद्ध की तैयारी और पूर्ण निष्ठा पैदा करने के मामले में वांछित परिणाम नहीं मिले। कुछ स्रोतों की रिपोर्ट है कि चार प्रमुख केंद्रीय सैन्य उद्यमों के उच्च-स्तरीय अधिकारियों सहित 1,000 से अधिक व्यक्तियों की जांच की जा रही है। अब तक, 2023 में 36 केंद्रीय पार्टी और सरकारी अधिकारियों की जांच की गई है और उन्हें दंडित भी किया गया है। युद्ध की तैयारी के संदर्भ में, पीएलए रॉकेट बलों की युद्ध तैयारी के हालिया क्षेत्र मूल्यांकन से कर्मचारियों की समस्याओं और कुछ ब्रिगेडों के सैनिकों के सर्वोत्तम फैलाव का पता चला है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि चीन के परमाणु और मिसाइल बलों के बारे में संवेदनशील सैन्य जानकारी का कथित लीक का भय और कमांडरों और सैनिकों से पूर्ण वफादारी की उम्मीद करने जैसी बातें शी की खोज के लिए परेशानी का एक बड़ा कारण बनी है।

राष्ट्रीय सुरक्षा के निहितार्थ

इतने कम समय में पीएलए में इतने सारे उच्च-स्तरीय अधिकारियों की बर्खास्तगी का एक और गंभीर कारण है। अमेरिका में एयर यूनिवर्सिटी के चाइना एयरोस्पेस स्टडीज इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट जारी होने से पीएलए के रॉकेट फोर्स के कार्यों, संरचना और संचालन के बारे में संवेदनशील जानकारी सामने आई। कुछ पर्यवेक्षकों के अनुसार, जानकारी पीएलएआरएफ के भीतर से आई थी। हालाँकि यह अटकलें हैं, किन गैंग्स के कथित मामले के साथ संयोजन में, ब्लैकमेल का संभावित जोखिम चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर सुरक्षा जोखिम है। जिसके बाहर आने से चीन की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता, युद्ध लड़ने की क्षमता और शी जिनपिंग के सेना के नियंत्रण पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।

संभवतः यही वजह है कि लीक से उत्पन्न होने वाले संभावित सुरक्षा जोखिमों के कारण, चीन के अनुशासन निरीक्षण और राज्य सुरक्षा एजेंसियों ने विदेशी घुसपैठ और गोपनीय जानकारी के खिलाफ कैडरों और जनता को चेतावनी देने के लिए एक बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया है। शायद लीक से उत्पन्न संभावित सुरक्षा जोखिमों के कारण, चीन के अनुशासन निरीक्षण और राज्य सुरक्षा एजेंसियों ने कैडरों और जनता को विदेशी घुसपैठ और गोपनीय जानकारी के लीक के खिलाफ चेतावनी देने के लिए एक बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया है। राज्य सुरक्षा मंत्रालय ने जासूसी गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए जनता को शामिल करने के लिए एक सार्वजनिक अभियान शुरू किया है। राज्य सुरक्षा मंत्री चेन यिक्सिन ने जून में प्रकाशित एक लेख में राज्य के रहस्यों को चुराने के प्रयासों पर कड़ी कार्रवाई करने का आह्वान किया क्योंकि चीन ने गोपनीय मामलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा प्रावधानों का विस्तार करते हुए राज्य गोपनीयता कानून को संशोधित करने की विधायी प्रक्रिया शुरू की है।

शी के तीसरे कार्यकाल को अब तक चीन के बाहरी मंत्रालयों के शीर्ष नेतृत्व में अस्थिरता से चिह्नित किया गया है। ये बदलाव बाहरी दुनिया के साथ चीन के संबंधों में अनिश्चितता पैदा कर सकते हैं, जिससे उन अधिकारियों के अधिकार कमजोर हो सकते हैं जो अपने विदेशी समकक्षों के साथ जुड़ते हैं। इसने बारबार दोहराया है कि शी जिनपिंग सभी कर्मियों और नीतिगत निर्णयों के केंद्र में हैं और पार्टी और राज्य के अधिकारी केवल उनके दृष्टिकोण को क्रियान्वित करने का काम करते हैं।

Author

Rahul Karan Reddy is a Senior Research Associate at Organisation for Research on China and Asia (ORCA). He works on domestic Chinese politics and trade, producing data-driven research in the form of reports, dashboards and digital media. He is the author of ‘Islands on the Rocks’, a monograph about the Senkaku/Diaoyu island dispute between China and Japan. Rahul was previously a research analyst at the Chennai Center for China Studies (C3S). He is the creator of the India-China Trade dashboard and the Chinese Provincial Development Indicators dashboard. His work has been published in The Diplomat, East Asia Forum, ISDP & Tokyo Review, among others. He can be reached via email at rahulkaran.reddy@gmail.com and @RahulKaranRedd1 on Twitter.

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