चीन की अर्थव्यवस्था वर्तमान में अभूतपूर्व संरचनात्मक चुनौतियों से गुजर रही है-जिसमें कमजोर मांग, औद्योगिक अत्यधिक क्षमता और घरेलू और वैश्विक दृष्टान्त से कम उम्मीदें शामिल हैं। दो सत्रों में प्रधानमंत्री ली छियांग द्वारा प्रस्तुत की गई सरकारी कार्य रिपोर्ट में इन चुनौतियों को कम करने के लिए आवश्यक नीतिगत कार्रवाइयों को शामिल करने की उम्मीद थी। कार्य रिपोर्ट में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर, घाटा-से-जीडीपी अनुपात और मुद्रास्फीति के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य घोषित किए गए। इस रिपोर्ट में ’नई गुणवत्तापूर्ण उत्पादक शक्तियों’ पर फिर से जोर दिया गया और अर्थव्यवस्था में निवेशकों का विश्वास बढ़ाने का प्रयास किया। संरचनात्मक मुद्दों को संबोधित करने के उद्देश्य से लक्षित नीतिगत उपायों के बिना, चीन इन लक्ष्यों को प्राप्त करने और 2024 में आर्थिक सुधार को बनाए रखने के लिए खुद को एक कठिन स्थिति में पाएगा।

20 वीं केंद्रीय समिति की तीसरी बैठक, जो कि ऐतिहासिक रूप से चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के आर्थिक दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने के लिए जानी जाती रही है, में हो रही देरी को देखते हुए इस वर्ष की सरकारी कार्य रिपोर्ट (जीडब्ल्यूआर) पर बहुत सारी निगाहें टिकी हुई थीं। परंपरागत रूप से, चीन के प्रधानमंत्री द्वारा प्रस्तुत जीडब्ल्यूआर, पिछले वर्ष के आर्थिक प्रदर्शन पर रोशनी डालता है और साथ ही आगामी वर्ष के लिए विशिष्ट विकास लक्ष्यों और चुनौतियों की घोषणा करता है। इस वर्ष का जीडब्ल्यूआर मुख्य रूप से दो कारणों से विशेष रूप से महत्वपूर्ण था - एक, यह वर्तमान प्रधानमंत्री ली छियांग के लिए एक लिटमस टेस्ट था। इसकी वजह प्रधान मंत्री पद तक उनकी अपरंपरागत वृद्धि के कारण चीनी अर्थव्यवस्था को चलाने की उनकी क्षमता पर संदेह का होना था। दूसरे, चीन की अर्थव्यवस्था इस समय अभूतपूर्व संरचनात्मक चुनौतियों से गुजर रही है - जिसमें कमजोर मांग, औद्योगिक क्षमता की अधिकता और कम अपेक्षाओं का शामिल होना हैं। जीडब्ल्यूआर से अपेक्षा की गई थी कि वह इन चुनौतियों को कम करने के लिए आवश्यक नीतिगत कारवाईयों  को शामिल करेगी।

इन चुनौतियों के बावजूद, पिछले वर्ष की उपलब्धियों को जारी रखते हुए, जीडब्ल्यूआर ने 2024 के लिए लगभग 5 प्रतिशत विकास दर का लक्ष्य रखा है, जो निवेशकों के लिए तो आकर्षक लग सकता है, लेकिन जीडीपी डिफ्लेटर जैसे अन्य घटते विकास संकेतकों को देखते हुए इसे हासिल करना मुश्किल होगा। इस रिपोर्ट में तेजी से विकास के बजायउच्च-गुणवत्ता वाले विकासपर फिर से जोर दिया और नई गुणवत्ता वाली उत्पादक शक्तियों  के विकास के लिए कुछ प्रावधान किए। अब चीन इन लक्ष्यों को प्राप्त करने और अर्थव्यवस्था में विश्वास बढ़ाने के लिए किए गए वादों को पूरा करने में कितना सक्षम होगा, यह चक्रीय और संरचनात्मक दोनों चुनौतियों को कम करने की उसकी क्षमता पर निर्भर करेगा। इस तरह से देखा जाये तो जीडब्ल्यूआर का विश्लेषण आगामी वर्ष के लिए चीन की आर्थिक योजना और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए किए गए उपायों के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करता है।

 

महत्वाकांक्षी विकास लक्ष्य

तीन साल के आर्थिक प्रतिबंधों के बाद, चीन ने 2023 में 5.2 प्रतिशत की विकास दर हासिल की, जो महामारी के बाद मामूली सुधार का संकेत है। ली ने अपने भाषण के दौरान स्वीकार किया कि 2024 में इस सफलता को दोहराना एक कठिन काम होगा क्योंकिचीन की निरंतर वसूली और विकास की नींव पर्याप्त ठोस नहीं है’| सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 2023 में 5 प्रतिशत की विकास दर हासिल करना 2024 में इसकी पुनरावृत्ति की गारंटी नहीं देता है क्योंकि तुलना का आधार 2023 में बहुत कम था। परिणामस्वरूप, अधिकांश वैश्विक एजेंसियों ने 2024 में चीन की विकास दर 4.5 प्रतिशत के आसपास रहने का अनुमान लगाया है। इसके अलावा, 2023 में, 17 प्रांतों ने राष्ट्रीय औसत से पर विकास दर दर्ज की, जिसमें सकल घरेलू उत्पाद के मामले में शीर्ष पांच प्रांतों में से चार शामिल हैंकुआंग्डोंग, चियांग्सू, शनतोङ, चचियांग और सछुआन - जो चीन के कुल सकल घरेलू उत्पाद में 40 प्रतिशत से अधिक का योगदान करते हैं। 2024 में, इन पांच प्रांतों को एक समान ही प्रगति पथ पर चलना जारी रखना होगा। मतलब यह कि चीन को अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए 5 से 6 प्रतिशत के बीच अपनी लक्षित विकास दर हासिल करनी होगी। हालाँकि, विदेशी निवेशकों के विश्वास की कमी और परिणामस्वरूप 2021 के बाद से एफडीआई प्रवाह में कमी इन पूर्वी प्रांतों के विकास पथ को प्रभावित कर सकती है क्योंकि वे चीन के अधिकांश एफडीआई प्रवाह को आकर्षित करते हैं। इस प्रकार, यदि चीन को 5 प्रतिशत की वृद्धि हासिल करनी है तो आने वाले वर्ष में इन प्रांतों को अधिक तरजीही उपचार मिल सकता है, जिससे बीजिंग द्वारा पहले से ही कर्ज में डूबे पश्चिमी प्रांतों को कम सहायता मिलेगी।

इसके अलावा, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) और निर्यात वृद्धि जैसे अन्य संकेतक 2023 में आशाजनक नहीं रहे हैं (हालांकि निर्यात ने 2024 में सुधार के कुछ संकेत दिखाए हैं) 2023 में सीपीआई बमुश्किल सकारात्मक थी (सालाना केवल 0.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई), जो चीनी अर्थव्यवस्था पर बढ़ते अपस्फीति दबाव का संकेत देती है। इस प्रकार, इस वर्ष का 3 प्रतिशत का सीपीआई लक्ष्य घरेलू और बाहरी मांग की निरंतर कमी के साथ-साथ औद्योगिक अतिक्षमता के कारण अतिरिक्त आपूर्ति को प्राप्त करने के लिए बहुत महत्वाकांक्षी होगा।

इसके अलावा, प्रभावी मांग की समग्र कमी, जो पिछले कुछ वर्षों में उच्च बचत दर से स्पष्ट है, चीनी नीति-निर्माताओं के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है, जैसा कि जीडब्ल्यूआर में भी उल्लेख किया गया है। इस प्रकार, उच्च स्थानीय सरकारी ऋणों के बावजूद, चीन ने स्थानीय सरकारों के लिए विशेष बांड को मामूली रूप से बढ़ाकर 3.9 ट्रिलियन युआन कर दिया है और केंद्र सरकार के बजट में निवेश के लिए 700 बिलियन युआन आवंटित किया है। यही नहीं, 1 ट्रिलियन युआन ($139 बिलियन) के अल्ट्रा-लॉन्ग स्पेशल ट्रेजरी बांड की भी घोषणा की है। चूँकि इन बांडों को राजकोषीय घाटे में नहीं माना जाएगा, फिर भी ऐसे मध्यम राजकोषीय प्रोत्साहन अभी भी चीन को अपने बजट घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत की सीमा के भीतर रखने की अनुमति देंगे। हालाँकि, इस तरह के विशेष बांड जारी करना अब तक केवल तीन बार किया गया है, वह भी चीन द्वारा महामारी या वैश्विक वित्तीय संकट जैसी गंभीर आर्थिक स्थितियों के दौरान। ऐसा लगता है कि वर्तमान आर्थिक माहौल चीनी नीति निर्माताओं के लिए उस स्तर पर पहुंच गया है। ऐसे में, अगर घरेलू मांग कमजोर बनी रही तो बीजिंग पिछले साल की तरह घाटे की सीमा को बीच में ही तोड़ सकता है।

 

नई गुणवत्ता वाली उत्पादक शक्तियों पर ध्यान

पिछले साल के केंद्रीय आर्थिक कार्य सम्मेलन (सीईडब्ल्यूसी) ने 2024 में ’आधुनिक औद्योगिक प्रणालीके निर्माण के लिए तकनीकी नवाचार को शीर्ष फोकस क्षेत्र के रूप में पहचाना, जिससे उच्च गुणवत्ता वाले विकास को बढ़ावा मिलेगा। उस प्रवृत्ति को जारी रखते हुए, जीडब्ल्यूआर भी नई गुणवत्ता वाली उत्पादक शक्तियों को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है क्योंकि चीन का लक्ष्य नवाचार-संचालित विकास है। इन उत्पादक शक्तियों में हरित ऊर्जा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, वाणिज्यिक एयरोस्पेस, कम ऊंचाई वाली अर्थव्यवस्था, क्वांटम कंप्यूटिंग आदि जैसे उभरते उद्योग शामिल हैं। इन उद्योगों को बढ़ावा देने से चीन के लिए एक ही समय में कई उद्देश्य पूरे होते हैं। सबसे पहले, यह शी के आत्मनिर्भरता जैसे लक्ष्यों में सहायता करेगा, जो प्रौद्योगिकी पहुंच पर प्रतिबंध और चीनी उत्पादों पर बढ़ती टैरिफ बाधाओं के कारण आवश्यक है। दूसरे, यह चीन के शिक्षित बेरोजगार शहरी युवाओं को कुछ हद तक शिक्षित कर सकता है और तीसरा, इन उभरते उद्योगों में वृद्धि चीन के समग्र विकास को गति दे सकती है क्योंकि इसका प्राथमिक योगदानकर्ता - रियल एस्टेट क्षेत्र - फिलहाल संकटग्रस्त बना हुआ है। इससे चीन को उच्च-स्तरीय विनिर्माण की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी और साथ ही, ’कुल कारक उत्पादकता’ में वृद्धि होगी - जनसांख्यिकीय चुनौती और विदेशी संसाधनों तक पहुंच पर प्रतिबंधों हेतु आवश्यक उद्देश्य की पूर्ति भी करेगी।

इन नई उत्पादक शक्तियों में प्रमुख योगदान देने वाला क्षेत्र हरित ऊर्जा होगा। पिछले वर्ष के 2 प्रतिशत लक्ष्य से चूक जाने के बावजूद ऊर्जा तीव्रता में 2.5 प्रतिशत की कटौती के नए लक्ष्य से इस क्षेत्र का महत्व स्पष्ट होता है। इससे संकेत मिलता है कि सौर ऊर्जा से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों तक के इस क्षेत्र के लिए अधिक मांग-पक्ष नीतियां पेश की जाएंगी क्योंकि चीन पहले ही पर्याप्त आपूर्ति क्षमता हासिल कर चुका है। वास्तव में, जीडब्ल्यूआर ने इलेक्ट्रिक वाहनों, लिथियम-आयन बैटरी और फोटोवोल्टिक वस्तुओं कोनई तिकड़ीके रूप में उल्लेख किया है जो चीन को अपने गिरते निर्यात का समर्थन करने और वैश्विक नवीकरणीय आपूर्ति श्रृंखलाओं में अपना प्रभुत्व बनाए रखने में मदद कर सकता है। इस प्रकार, बीजिंग को दीर्घकालिक नीतियों के माध्यम से इन क्षेत्रों में अधिक घरेलू मांग पैदा करने की जरूरत है और पारंपरिक विकास चालकों के कारण होने वाले प्रभाव को कम करने का लक्ष्य रखना है।

 

आर्थिक स्वास्थ्य के बारे में धारणा का प्रबंधन

प्रमुख आर्थिक चुनौतियों के अलावा, चीनी अर्थव्यवस्था के बारे में नकारात्मक धारणा बीजिंग के लिए एक प्रमुख मुद्दा है जिसने घरेलू और वैश्विक नागरिकों के विश्वास को काफी कम कर दिया है। इस मोर्चे पर, जीडब्ल्यूआर से अपेक्षा की गई थी कि वह व्यापक सुधार योजना नहीं तो कम से कम इस विश्वास को फिर से हासिल करने के लिए अनुकूल नीतियां बनाएगी। उपभोग को बढ़ावा देने और संरचनात्मक मुद्दों को लक्षित करने वाली नीतियों को पेश करने के लिए 2022 में शुरू की गई कार्य योजना के मार्ग पर चलने की उम्मीद थी। जीडब्ल्यूआर ने उपभोक्ताओं को स्मार्ट घरों, पर्यटन, खेल के साथ-साथ नई ऊर्जा वाहनों, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों और अन्यउच्च कीमतके उत्पादों पर खर्च करने के लिए प्रेरित करने वाले कुछ उपायों का उल्लेख किया है। इसमें खपत को बढ़ावा देने के लिए एक साल के कार्यक्रम का भी आह्वान किया गया है, लेकिन विशिष्ट कार्य योजना क्या होगी, इसका उल्लेख नहीं किया गया है। ये प्रयास, एक ओर तो मांग-पक्ष सुधारों की ओर बदलाव का संकेत देते हैं, लेकिन दूसारी ओर चीनी नागरिकों को अधिक खर्च करने के लिए प्रेरित करने के लिए अपर्याप्त भी लगते हैं क्योंकि इसमें स्वास्थ्य और शिक्षा लागत कम करने या मजबूत सामाजिक सुरक्षा कव जैसे संरचनात्मक सुधार शामिल नहीं हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि महामारी के दौरान अस्थिर नीतिगत माहौल के कारण खोए लोगों के विश्वास को वापस पाने के लिए बीजिंग को अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता है, जिसके कारण लोगों को आकस्मिकताओं के लिए अधिक बचत करनी पड़ी।

बाहरी लोगों के लिए, जीडब्ल्यूआर विदेशी निवेश को आकर्षित करने के उपायों को सूचीबद्ध करता है जैसे सेवाओं में विदेशी निवेश पर प्रतिबंध कम करना और स्वायत्त मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाना। हालाँकि, बीजिंग को यह अवश्य समझना चाहिए कि विदेशी निवेशकों की समस्याएँ चीन में प्रतिबंधित राजनीतिक और नियामक वातावरण के बारे में उनकी धारणा से अधिक जुड़ी हुई होती हैं। चीनी अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण विश्लेषण पर प्रतिबंध लगाने, बाजार विश्लेषण फर्मों को प्रतिबंधित करने या सुरक्षा की आड़ में विदेशी कंपनियों की जांच करने से निवेशकों का विश्वास और हिल जाता है। इस प्रकार, हालांकि सीईडब्ल्यूसी ने विकास और रोजगार सृजन के साथ-साथ ’उम्मीदों को स्थिर करनाको 2024 के लिए प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक माना है, पर बीजिंग, कार्य रिपोर्ट में इसका लाभ उठाने में विफल रहा है। दो सत्रों के बाद प्रधानमंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस को अचानक रद्द करने से ये चिंताएँ और बढ़ गई।

जीडब्ल्यूआर अन्य आर्थिक चुनौतियों जैसे बुजुर्गों की देखभाल, शिक्षित युवाओं की बेरोजगारी, रियल एस्टेट संकट और ऋण प्रबंधन को भी छूता है, हालांकि बिना किसी ठोस नीति निर्देश के। कोई यह तर्क दे सकता है कि जीडब्ल्यूआर का उद्देश्य केवल आने वाले वर्ष के लिए सरकार की व्यापक नीति अभिविन्यास को इंगित करना है। हालाँकि, चीन के सामने घरेलू और बाहरी दोनों तरह की गंभीर चुनौतियों को देखते हुए, बीजिंग ने जीडब्ल्यूआर के माध्यम से अधिक लक्षित नीतियों को पेश करके अधिक आत्मविश्वास पैदा करने का अवसर गंवा दिया है। जबकि ली छियांग ने स्वीकार किया कि इस वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य हासिल करना आसान नहीं होगा। हालांकि यह कार्य रिपोर्ट लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एक रोडमैप पेश करने में विफल नजर आती है, साथ ही कई मोर्चों पर कई नीतिगत अंतराल भी छोड़ती नजर आती है। लेकिन उम्मीद है आगामी तीसरी बैठक में इन्हें भरा जा सकता है।

Author

Omkar Bhole is a Senior Research Associate at the Organisation for Research on China and Asia (ORCA). He has studied Chinese language up to HSK4 and completed Masters in China Studies from Somaiya University, Mumbai. He has previously worked as a Chinese language instructor in Mumbai and Pune. His research interests are India’s neighbourhood policy, China’s foreign policy in South Asia, economic transformation and current dynamics of Chinese economy and its domestic politics. He was previously associated with the Institute of Chinese Studies (ICS) and What China Reads. He has also presented papers at several conferences on China. Omkar is currently working on understanding China’s Digital Yuan initiative and its implications for the South Asian region including India. He can be reached at obhole96@gmail.com and @bhole_omkar on Twitter.

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